Garhwal ki Lokkathayen
Garhwal ki Lokkathayen
आशाराम ‘आशाजीत’ द्वारा संकलित गढ़वाल की लोककथाएं लोकसाहित्य के पाठकों के लिए एक उपहार है। विद्वान लोकविद् आशाराम जी ने अपने पूर्वजों के संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में पाठकों के सामने रखा है। इस पुस्तक में कुल आठ लम्बी लोककथाएं हैं। जिन्हें पहले पहले मूल गढ़वाली रूप में पुस्तक में दिया गया है। उसके बाद कहानी खत्म होने के बाद कहानी का हिन्दी रूपान्तरण दिया गया है। पुस्तक में मुख्य रूप में गढ़वाल की लोककथा उदास नगरी विषैली कन्या, रग और ठग, सात बातगाले,बड़े बैरी का बड़ा आदर, पंडित और पंडिताइन, गरीब आदमी, घरगुदड्य और झड़-झड़ खंता रुप्या पैसा शामिल हैं। केन्द्र सरकार की सेवा में रहे आशाजीत जी को संगीत और रंगमंच का भी शौक रहा। आप उत्तराखंड के सामाजिक मुद्दों से भी गहरे जुड़े रहे हैं।
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